महान व्यक्तित्व >> सम्राट अशोक सम्राट अशोकप्राणनाथ वानप्रस्थी
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प्रस्तुत है सम्राट अशोक का जीवन परिचय...
तक्षशिला का विद्रोह
एक बार तक्षशिला में विद्रोह हो गया। वहां की जनता ने सम्राट् बिन्दुसार के सभी अधिकारियों और सैनिकों को मार भगाया। सूचना मिलने पर सम्राट् ने मन्त्रियों की सभा बुलाई। इसमें निश्चय हुआ कि वीरश्रेष्ठ कुमार अशोक को सेना के साथ भेजा जाए, क्योंकि वह राजकुमार वीर ही नहीं, गम्भीर भी है।
सम्राट् की आज्ञा पाते ही कुमार अशोक बहुत बड़ी सेना सजाकर तक्षशिला को चल पड़ा। उधर तक्षशिला में लोगों को जब पता लगा कि राजकुमार अशोक हमें दण्ड देने आ रहे हैं तो वहां के लोगों ने नगर को रंग-बिरंगे फूलों और पत्तों से सजाया और साथ ही साथ कई मीलों तक का मार्ग पत्थरों और कांटों से बिल्कल साफ कर दिया। इस मार्ग को भी स्थान-स्थान पर सुन्दर द्वारों, रंग-बिरंगी झंडियों और केले के वृक्षों से ऐसा सजाया कि देखते ही
बनता था। यहां के बड़े-बड़े लोगों ने हाथों में मंगलघट लेकर नगर से कई मील की दूरी तक आगे बढ़कर राजकुमार अशोक का स्वागत किया। उन्होंने आते ही राजकुमार और उसके साथियों पर फूलों की वर्षा की। 'राजकुमार अशोक की जय', 'सम्राट् बिन्दुसार की जय' और 'मौर्य साम्राज्य अमर रहे' के नारों से आकाश गूंज उठा। बड़े आदर और सम्मान के साथ राजकुमार को तक्षशिला में ले जाया गया और उन्हें राज्य भवन में ठहराया गया। साथ आए हुए सैनिकों को भी सुन्दर-सुन्दर स्थान रहने के लिए दिए गए। सबके खाने-पीने आदि का उत्तम प्रबन्ध किया गया।
यहां के लोगों का प्रेम देखकर राजकुमार अशोक बड़े प्रसन्न हुए। अगले दिन बड़ी धूमधाम से दरबार लगाया। सभी नगरवासी, यहां तक कि बच्चे और बूढ़े अपने राजकुमार के दर्शनों के लिए उमड़ पड़े। दरबार के लगते ही सब लोग अपने-अपने स्थान पर बैठ गए। अब सबने खड़े होकर राष्ट्रीय तराना गाया। फिर मन को मोहने वाले कई तरह के संगीत और बाजे बजाए गए। बड़े मीठे स्वर से कवियों और गानेवालों ने राजकुमार और आनेवालों के मन को लुभाया। अब नगरसेठ ने उठकर राजकुमार अशोक की आज्ञा पाकर कहना शुरू किया, ''प्रियदर्शी राजकुमार न तो हम आपके विरुद्ध हैं और न ही हमें सम्राट् बिन्दुसार से कोई शिकायत है। आपके जो अधिकारी यहां राज्य करते रहे, वे बड़े दुष्ट थे। वे लोग हमें स्थान-स्थान पर अपमानित करते थे। उनका अन्याय इतना बढ़ गया कि जनता उसे सह न सकी और विद्रोह फैल गया। अब आप हमारे सिर-आंखों पर रहिए और शासन की बागडोर संभालिए। मैं अब नगरवासियों की ओर से विश्वास दिलाता हूं कि आपकी हर आज्ञा का पूरा-पूरा पालन किया जाएगा।''
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